शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

विवाह योग के लिएः- यदि परिवार में योग्य पुत्र या पुत्री का विवाह, प्रयत्न के बाद भी, नहीं हो पा रहा, तो घर में सफेद खरगोश पालना चाहिए और अविवाहित पुत्र, या पुत्री से उसे खाना दिलवाना चाहिए। खरगोश की सेवा उनसे करवानी चाहिए। इससे धीरे-धीरे, विवाह का योग बनने लगता है।
पुरुषों के विवाह में यदि रुकावटें और विलंब हो, तो दोमुखी रुद्राक्ष के पांच दाने लें। एक कटोरी जल में उन्हें पूजा में रखें। धूप, दीप जलाएं। प्रतिदिन तीन माला  'ऊँ पार्वती वल्लवभायु स्वाहा' का जाप करें। यह प्रयोग करीब तीन महीने तक करें। जल पौधें पर चढ़ा दें। तीन महीने की पूजा के पश्चात एक रुद्राक्ष गणेश पर, एक रुद्राक्ष पार्वती पर, एक रुद्राक्ष कार्तिकेय पर, एक रुद्राक्ष नदी को और एक रुद्राक्ष भगवान शिव पर चढ़ा दें। शिवलिंग पर जल चढ़ाए और आराधना करते हुए प्रभु भोलेनाथ से प्रार्थना करें। यह बहुत चमत्कारी टोटका है। अवश्य शीघ्र विवाह के लिए रिश्ते आने लगगें । यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरंभ करें। रुद्राक्ष की पवित्र माला से जाप करें।
ससुराल में प्यार पाने के लिएः- विवाह पश्चात ससुराल में प्यार पाने के लिए और सभी से अच्छे संबंध हों, इसके लिए लड़की को सर्वप्रथम सबका सम्मान करना चाहिए। एक कटोरी में जल लें। उसे पूजास्थल में रखें। धूप दीप जला लें। भोग-प्रसाद रखें। 'ऊँ क्लीं कृष्णाय नमः' मंत्र की एक माला प्रतिदिन जाप करें। पूजा के पश्चात जल पी लें। इलायची एक सुबह, एक शाम को खा लें। परिवार में सुख-शांति रहती है। ससुराल में सबसे मधुर संबंध बना रहता है।
संतान प्राप्ति में विलंब होने के कारण जानने परः- संतान प्राप्ति देव आराधना से होता है। यदि बुध और शुक्र बाधक हों, तो शिव भगवान् का अभिषेक, रुद्राभिषेक करना चाहिए। यदि चंद्रमा बाधक हो, तो यंत्र, मंत्र जाप और औषधियों का उपयोग करना चाहिए। शनि, मंगल और सूर्य बाधक हों, तो दूर्गा देवी की आराधना करनी चाहिए। यदि राहु-केतु बाधक हों तो विधिपूर्वक कुल देवता की पूजा करनी चाहिए। नवग्रह शांति पाठ भी कराना चाहिए।
मंगल दोष निवारण के लिएः- यदि पति मंगला है तो पत्नी को मूंगा धारण करना चाहिए तथा यदि पत्नी मंगली है तो पति को मूंगा धारण करना चाहिए। मूंगा रत्न धारण करने से पति या पत्नी की मांगलिक दोष के क्रूर प्रभाव से रक्षा होती है। देशी मूंगा विद्वान ज्योतिषी के परामर्श से, दाहिने हाथ की अनामिका में, चांदी की अंगूठी में जड़वा कर, मंगलवार के दिन प्रातः काल मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित कर, धारण करना चाहिए।

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