बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

क्यों होती है जन्म पत्रिका बनवाने की आवश्यकता


ग्रहों के चक्कर से कोई नहीं बच सकता। रावण जैसा राजा नीति कुशल, विद्वान, बलशाली सभी ग्रहों को वशीभूत करने वाला भी शनि की कुदृष्टि से नहीं बच पाया। राजा हरिशचंद्र को भी ग्रहों ने श्मशान में चौकीदारी करवा दी। राजा नल व दमयंती को भी ग्रहों ने नहीं छोड़ा और चोरी का इल्जाम लगा। राजा रामचंद्र को वन-वन भटकना पड़ा। गांडीवधारी अर्जुन को लूट लिया गया। ग्रह किसी को भी नहीं बख्शते। एक ग्वाले को प्रसिद्ध राजा नेपोलियन बोनापार्ट बना दिया। चाहे कोई भी समाज हो, कोई भी धर्म हो ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति से कोई नहीं बच सकता।
जन्म कुंडली जातक का शरीर है। जिस प्रकार डॉक्टर रोग पहचानकर इलाज करता है, ठीक उसी प्रकार एक कुशल ज्योतिष भी निदान बताने में समर्थ होता है। पीड़ा तो होगी लेकिन उस पीड़ा का अहसास कम होगा। उदाहरणार्थ यदि किसी की जन्म पत्रिका में यह मालूम है कि इसका किसी ट्रक से एक्सीडेंट होगा, उसे उस ग्रहों को अनुकूल बनाने वाले उपाय करने से टक्कर तो होगी, लेकिन सायकल से होगी। यदि पहले से जाना जाए कि इसका तलाक हो सकता है तो उस तलाक करवाने वाले ग्रहों को अनुकूल बनाकर उसे टाला जा सकता है।
ग्रह कोई भगवान नहीं होता, बल्कि आकाशीय मंडल में पृथ्वी के समान ही है। हमारे जन्म के समय उस ग्रहों की रश्मि किस प्रकार पड़ रही है, बस इसी का ज्ञान जन्म पत्रिका से जाना जा सकता है। दशा-अंतरदशा व गोचर स्थिति को जानकर सही-सही भविष्यवाणी की जा सकती है। इस कारण ही जन्म पत्रिका बनवाना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें