शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017


ॐ सात पूनम काल का बारह बरस क्वार ,एको देवी जानिए चौदह भुवन द्वार द्वि पक्षे निर्मलिये तेरह देवन देव अष्ट भुजी परमेशवरी ग्यारह रूद्र सेव ,सोलह कला समपुरनी तिन नयन भरपूर दसो द्वारी तुही माँ , पांचो बाजे नूर ,नव निधि षट दर्शनी पन्द्रह तिथि जान चारो युग में कालका कर काली कल्याण ये मन्त्र थोडा तिक्ष्ण प्रकार का है ..इसलिए सात्विकता बरतिए ..और इसे प्रयोग में लाइए इस मन्त्र का जप करते हुए उपर वाला यन्त्र लिखे और जब साधना पूरी हो जाती है साधक के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता | प्रयोग -- जिस किसी व्यक्ति पर कैसी भी प्रेत बाधा या किसी का किया तंत्र प्रयोग (जैसे-मूठ) हो, तो इस यन्त्र को अष्ट गंध से लिख कर उस व्यक्ति को पहना दिया जाये तो बाधा शांत हो जाती है | कार्य सिद्धि के लिए इस यन्त्र को अपने साथ ले कर कार्य के लिए जा सकते है | मुक़दमे में विजय पाने के लिए है और घर छोड़ कर गये व्यक्ति को वापिस लाने के लिए इसका अचूक उपयोग किया जा सकता हैं .. इस चमत्कारिक यन्त्र से वशीकरण, के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है आप पहले इसे विधि विधान से गुरु अनुमति ले कर सिद्ध कर ले इसके प्रयोग तो सैकड़ो है उसे ... कसे करना हैं बता देंगे | यंत्र सिद्ध करते करते माँ के दर्शन हो जाते। है ऐसा मेरा और कई लोगो का अनुभव है |....

शाबर मंत्रो को जगाने का पर्याय -
अगर बहोत कोशिश करने पर मंत्र जागृत नहीं हो रहे हो तो इस साधना को करके कोई भी साबर मंत्र जग सकते हो आप ..इस साधना को कर इसे सार्थक करे ..( अगर फिर नहीं हुआ तो साबर कल्प्सिद्धि से तो होना ही होना है यह हमारा दावा है ( कल्प्सिद्धि एक विशेष क्रिया है ) मन्त्रः- ..... ॐ इक ओंकार, सत नाम करता पुरुष निर्मै निर्वैर अकाल मूर्ति अजूनि सैभं गुर प्रसादि जप आदि सच, जुगादि सच है भी सच, नानक होसी भी सच -... मन की जै जहाँ लागे अख, तहाँ-तहाँ सत नाम की रख । चिन्तामणि कल्पतरु आए कामधेनु को संग ले आए, आए आप कुबेर भण्डारी साथ लक्ष्मी आज्ञाकारी, बारां ऋद्धां और नौ निधि वरुण देव ले आए । प्रसिद्ध सत-गुरु पूर्ण कियो स्वार्थ, आए बैठे बिच पञ्ज पदार्थ । ढाकन गगन, पृथ्वी का बासन, रहे अडोल न डोले आसन, राखे ब्रह्मा-विष्णु-महेश, काली-भैरों-हनु-गणेश । सूर्य-चन्द्र भए प्रवेश, तेंतीस करोड़ देव इन्द्रेश । सिद्ध चौरासी और नौ नाथ, बावन वीर यति छह साथ । राखा हुआ आप निरंकार, थुड़ो गई भाग समुन्द्रों पार । अटुट भण्डार, अखुट अपार । खात-खरचत, कछु होत नहीं पार । किसी प्रकार नहीं होवत ऊना । देव दवावत दून चहूना । गुर की झोली, मेरे हाथ । गुरु-बचनी पञ्ज तत, बेअन्त-बेअन्त-बेअन्त भण्डार । जिनकी पैज रखी करतार, नानक गुरु पूरे नमस्कार । अन्नपूर्णा भई दयाल, नानक कुदरत नदर निहाल । ऐ जप करने पुरुष का सच, नानक किया बखान, जगत उद्धारण कारने धुरों होआ फरमान । अमृत-वेला सच नाम जप करिए । कर स्नान जो हित चित्त कर जप को पढ़े, सो दरगह पावे मान । जन्म-मरण-भौ काटिए,.. जो प्रभ संग लावे ध्यान । जो मनसा मन में करे, दास नानक दीजे दान ।।...