वैदिक ज्योतिष में राहु की तरह केतु ग्रह को भी क्रूर ग्रह माना गया है। इसे तर्क, कल्पना और मानसिक गुणों आदि का कारक कहा जाता है। केतु ग्रह शांति के लिए अनेक उपाय बताये गये हैं। इनमें केतु यंत्र, केतु मंत्र, केतु जड़ी और भगवान गणेश की आराधना करना प्रमुख उपाय है। केतु हानिकारक और लाभकारी दोनों तरह के प्रभाव देता है। एक ओर जहां यह हानि और कष्ट देता है वहीं दूसरी ओर व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक लेकर जाता है। यदि आप केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं या कुंडलीमें केतु की स्थिति कमजोर है, तो केतु ग्रह शांति के लिए यह उपाय अवश्य करें। इन कार्यों को करने से केतु से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े केतु ग्रह शांति के उपाय
ग्रे, भूरा या विविध रंग का प्रयोग करें।
पुत्र, भतीजा एवं छोटे लड़कों के साथ अच्छे संबंध बनाए।
शॉवर में स्नान करें।
कुत्तों की सेवा करें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले केतु ग्रह के उपाय
गणेश जी की पूजा करें।
मतस्य देव की पूजा करें।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष का जाप करें।
केतु शांति के लिये दान करें
केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए केतु से संबंधित वस्तुओं को बुधवार के दिन केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा, मूल) में देर शाम को दान किया जाना चाहिए।
दान की जाने वाली वस्तुएँ- केला, तिल के बीज, काला कंबल, लहसुनिया रत्न एवं काले पुष्प आदि।
केतु के लिए रत्न
ज्योतिष में केतु ग्रह के लिए लहसुनिया रत्न को बताया गया है। यह रत्न केतु के बुरे प्रभावों से रक्षा करता है।
केतु यंत्र
व्यापार लाभ, शारीरिक स्वास्थ्य व पारिवारिक मामले आदि के लिएकेतु यंत्र के साथ माँ लक्ष्मी और गणपति की अराधना करें। केतु यंत्र को बुधवार के दिन केतु के नक्षत्र में धारण करें।
केतु के लिये जड़ी
केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए बुधवार को बुध के नक्षत्र में अश्वगंधा अथवा अस्गंध मूल धारण करें।
केतु ग्रह के लिये रुद्राक्ष
केतु ग्रह के लिये 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ ह्रीं हूं नमः।
ॐ ह्रीं व्यं रूं लं।।
केतु मंत्र
केतु की अशुभ दशा से बचने के लिए केतु बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र - ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः!
केतु मंत्र का 17000 बार उच्चारण करें। देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को 68000 बार जपने के लिए कहा गया है।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ कें केतवे नमः!
वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह शांति के उपाय को बड़ा महत्व है। दरअसल, केतु ग्रह का कोई भौतिक स्वरूप नहीं है। बल्कि यह एक छाया ग्रह है। इसके स्वभाव के कारण इसे पापी ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि केतु के कारण जातकों को सदैव परेशानी का सामना करना पड़ता है। बल्कि इसके शुभ प्रभावों से जातकों को मोक्ष भी प्राप्त हो सकता है। मिथुन राशि में यह नीच भाव में होता है और नीच भाव में होने के कारण जातकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे जातक के जीवन में अचानक कोई बाधा आ जाती है, पैरों और जोड़ों में दर्द, रीड़ की हड्डी से संबंधित परेशानी आदि रहती हैं। इन सबसे बचने के लिए केतु दोष के उपाय बहुत ही कारगर हैं। केतु मंत्र का जाप करने से जातक को केतु से संबंधित बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। वहीं केतु यंत्र की स्थापना करने से जातकों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
हम यह आशा करते हैं कि केतु ग्रह शांति मंत्र एवं उपाय से संबंधित यह लेख आपके लिए लाभकारी एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा।
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