श्री मनसा देवी के बारे में वैसे तो बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं परन्तु निम्नलिखित कथा प्रमाणिक मानी जाती हैं!
मुग़ल सम्राट अकबर के समय की बात हैं कि चंडीगढ़ के पास मनीमाजरा नामक स्थान हैं! यह जागीर एक राजपूत जागीरदार के अधीन थी ! सम्राट कृषकों से लगान के रूप में अन्न वसूल करवाता था ! एक बार प्राकृतिक प्रकोप वश फसल बहुत कम हुई जिससे जागीरदार वसूली करने में असमर्थ रहे !
इसलिए उन्होंने अकबर से लगान माफ़ करने की प्रार्थना की !
यद्यपि बादशाह अकबर काफी अच्छा शासक था लेकिन उसने जागीरदारों की कोई बात नहीं मानी व् क्रोधित होकर उन सब जागीरदारों को जेल में डालने का हुक्म दे दिया ! इस बात की खबर पूरे गाँव में फ़ैल गई !
माँ का भक्त गरीबदास यह सुनकर बहुत दुखी हुआ ! उसने दुर्गा माँ से प्रार्थना कि माता प्रसन्न होकर हमें कष्ट से उबारो व् जागीरदारों को मुक्त करवा दो !
भक्त की प्रार्थना से प्रसन्न हो माता बोली तू जो चाहता हैं वैसा ही आशीर्वाद देती हूँ !
कुछ समय बाद सब जागीरदार अपने २ घरों को लौटेंगे !
गरीबदास माँ के चरणों में गिर गया और बोला - माता तेरा खेल निराला हैं !
तू सर्व शक्तिमान हैं !
आप अपने भक्तों की सदा रक्षा करती हैं ! कुछ समय बाद सभी जागीरदार प्रसन्न चित्त अपने २ घर लौट आये ! माँ की महिमा उन सबको मालूम हो गई ! सबने मिलकर वहाँ एक मंदिर बनवा दिया जो की मनसा देवी के अर्थात इच्छा पूर्ण करने वाली देवी के नाम से विख्यात हो गया !
मनसा देवी के नाम से एक मंदिर हरिद्वार में शिवालिक पर्वत की चोटी पर स्थित हैं ! इसकी गरणा शक्ति पीठों में तो नहीं हैं लेकिन वर्तमान में इसकी मान्यता भी बहुत बढ़ रही हैं ! हरिद्वार जाने वाले यात्री अवश्य ही इनके दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए पास ही के एक वृक्ष पर औधी बांधते हैं ! लगभग ३ किलो मीटर की चढाई मंदिर की हैं !
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