वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
राशि स्वरूप- बैल जैसा, राशि स्वामी- शुक्र।
राशि परिचय
1. इस राशि का चिह्न बैल है। बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है।
2. बैल के समान स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है।
3. इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं।
4. इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है।
5. पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिकतर तामसी भोजन में अपनी रुचि दिखाता है।
6. गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो स्वाभिमान की बात करता है।
7. सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और उनके काम जातक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
8. किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से जातक के अंदर मानसिक गर्मी प्रदान करता है।
9. कल-कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है, जातक की माता के जीवन में परेशानी ज्यादा होती है।
10. ये अधिक सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं। जातक कला के क्षेत्र में नाम करता है।
11. माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामंजस्यता लाता है, जातक अपने जीवनसाथी के अधीन रहना पसंद करता है।
12. चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है।
13. आपके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है।
14. हमेशा दिमाग में कोई योजना बनती रहती है। कई बार अपने किए गए षडयंत्रों में खुद ही फंस भी जाते हैं।
15. रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्रमा हैं, जातक के अंदर हमेशा उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।
राशि स्वरूप- बैल जैसा, राशि स्वामी- शुक्र।
राशि परिचय
1. इस राशि का चिह्न बैल है। बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है।
2. बैल के समान स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है।
3. इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं।
4. इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है।
5. पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिकतर तामसी भोजन में अपनी रुचि दिखाता है।
6. गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो स्वाभिमान की बात करता है।
7. सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और उनके काम जातक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
8. किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से जातक के अंदर मानसिक गर्मी प्रदान करता है।
9. कल-कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है, जातक की माता के जीवन में परेशानी ज्यादा होती है।
10. ये अधिक सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं। जातक कला के क्षेत्र में नाम करता है।
11. माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामंजस्यता लाता है, जातक अपने जीवनसाथी के अधीन रहना पसंद करता है।
12. चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है।
13. आपके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है।
14. हमेशा दिमाग में कोई योजना बनती रहती है। कई बार अपने किए गए षडयंत्रों में खुद ही फंस भी जाते हैं।
15. रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्रमा हैं, जातक के अंदर हमेशा उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।
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