सूर्य-शुक्र युति
इस युति को ज्योतिष में अच्छा नहीं कहा गया है। दरअसल शुक्र सूर्य के समीप आकर अपनी ऊर्जा को खो देता है जिसके कारण जातक को सुख में कमी महसूस होती है। इस युति के कारण जीवन में संघर्ष के साथ ही पत्नी के सुख की कमी अनुभव हो सकती है।
चन्द्रमा-शुक्र युति
इस युति के जातक को अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। जातक का शरीर सुंदर होगा और उसे कला साहित्य में रूचि होगी। ऐसा जातक स्त्री वर्ग में लोकप्रिय हो सकता है। उसे व्यापार में लाभ प्राप्त होता है। एक अच्छा लेखक, अभिनेता और कवि भी हो सकता है।
मंगल-शुक्र युति
मंगल रक्त और शुक्र वीर्य का कारक होने के कारण यह युति शुभ नहीं है। इस युति पर राहु का प्रभाव हो तो स्त्री और पुरुष दोनों चरित्रहीन हो सकते हैं। रक्त से जुड़ी बीमारी और यौन सुख में कमी भी जातक को अनुभव हो सकती है। वैवाहिक जीवन ठीक नहीं होगा।
बुध-शुक्र युति
बुध वाणी और शुक्र कला का कारक होने के कारण यह युति शानदार परिणाम देने वाली होती है। जातक एक प्रसिद्ध लेखक हो सकता है। हास्य नाटक का लेखक या बड़ा निर्देशक बन सकता है। ऐसे व्यक्ति पढ़ाई में बहुत अच्छा होगा। अपनी बुद्धि से स्त्री वर्ग को प्रसन्न रखता है।
गुरु- शुक्र युति
इस युति में जातक असमंजस में रहता है क्योंकि उसे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों सुख मिलते हैं ऐसे में व्यक्ति का चरित्र लोगों की समझ में नहीं आता है। स्त्री सुख में कमी लेकिन मंत्रों का ज्ञाता और वेद में निपुण होगा। ऐसा व्यक्ति अपनी वाणी से मन मोह लेता है लेकिन भौतिक सुख में कमी अवश्य रहती है।
शनि-शुक्र युति
शनि की ऊर्जा शुक्र को खत्म कर देती है। जातक स्त्री से दूर ही रहता है और यौन सुख में रूचि नहीं रहती है। ऐसा व्यक्ति दार्शनिक भी हो सकता है। ऐसा जातक बातों को बड़ी गहराई से समझता है और मनन करता है। भौतिक सुख की कामना नहीं होती और साधक बन सकता है।
राहु-शुक्र युति
राहु को छल कपट का कारक कहा गया है लेकिन शुक्र ऐसा नहीं है इसलिए यह युति जीवन में कष्टकारी ही साबित होती है। ऐसा व्यक्ति स्त्री के साथ धोखा करता है और उन्हें भोगने में रूचि रखता है। नशे का आदी और शराब पीने वाला होगा। ऐसे में यह युति चरित्र के लिए ठीक नहीं है
केतु-शुक्र युति
केतु शुक्र की ऊर्जा को उभारने का काम करता है। इस युति के कारण जातक की सिनेमा और साहित्य में अच्छी रूचि होगी। ऐसा व्यक्ति अपनी स्त्री का सुख कम ही भोगता है। जीवन में किसी ना किसी लड़की का प्रवेश होता रहता है। बुद्धि स्थिर नहीं होगी और जातक इधर उधर की बात सोचता रहता है।